पाण्डुका पंचायत में सप्ताह भर पहले हुई बुलडोजर कार्यवाही पर दावा किया गया कि पंचायत के अधीन शासकीय भूमि पर निर्माण करने वाले सभी 17 अतिक्रमण कारियों पर कार्यवाही की गई। लेकिन अब इसकी सच्चाई सामने निकल कर आ रही है। कड़कड़ाती ठंड में आवास तोड़े जाने के बाद प्रभावित ग्रामीणों ने इसे पक्षपात पूर्ण कार्यवाही बता रहे।
केवल 6 लोगों का आवास तोड़ा गया
शुरू से ही कार्यवाही का विरोध करने वाली चंचल निर्मलकर ने कहा कि 17 अवैध निर्माण पर पंचायत ने कार्यवाही का ढिंढोरा पिटा, पर अपने नजदीकी लोगों को छोड़ केवल 6 लोगों का आवास तोड़ा गया, आरोप यह भी है कि सरपंच के परिजन का बिजली बिल बकाया है, वे भी अवैध आवास का लाभ ले रहे। झूठी वाहवाही बटोरने और पक्षपात पूर्ण कार्यवाही की जांच के साथ ही सरपंच के खिलाफ धारा 40 के तहत कार्यवाही की भी मांग उन्होंने की है।
वहीं ग्रामीण सूरज चक्रधारी, पुलेश कुमार सिन्हा ने भी आरोप लगाते हुए कहा कि केवल 4 से 5 लोगों का घर तोड़ा गया है। जबकि सरपंच ने खुद अवैध भूमि पर घर निर्माण किया है उस पर भी कार्यवाही हो।
आहत ग्रामीणों के अनुसार वे प्रशासन और पंचायत के सामने गिड़गिड़ाते रहे पर उनकी किसी ने नहीं सुनी। सच्चाई बताने कलेक्टोरेट तक पहुंचे पर उन्हें थाने में आरोपी की तरह बिठाए रखा गया। अब प्रभावित ग्रामीण निष्पक्ष कार्यवाही की मांग कर रहे हैं। जो नजायज कार्यवाही हुई है उस पर भी विचार करने की मांग पर अड़े हैं, ऐसा नहीं हुआ तो जल्द ही भूख हड़ताल पर बैठने की चेतावनी भी दे रहे हैं।
वहीं इस मामले में सरपंच भानु ध्रुव ने कहा कि आरोप निराधार है। सभी को नोटिस दिया गया था, अंतिम नोटिस में सामान हटाने कहा गया था जिन्होंने सामान हटाया उनका घर तोड़ा गया। समय अभाव का हवाला देकर कार्यवाही जल्द पूर्ण करने की बात कही है।

