स्टाफ की कमी से मरीज परेशान
बता दें कि अस्पताल में चार पंचकर्म सहायकों की आवश्यकता होने के बावजूद केवल दो ही कर्मचारी कार्यरत हैं। इसके अलावा विशेषज्ञ चिकित्सक और फार्मासिस्ट के पद खाली पड़े हैं, जिससे पंचकर्म थेरैपी जैसी सेवाएं प्रभावित हो रही हैं। सीमित स्टाफ के बावजूद भी पुश्य नक्षत्र के दिन 0 से 16 वर्ष के बच्चों को दी जाने वाली स्वर्णप्राशन खुराक भी सुचारू रूप से वितरित की रही है।
2011 में बना भवन हुआ जर्जर, सफाई व्यवस्था की भी कमी
वर्ष 2011 से संचालित इस अस्पताल का भवन दशक भर से अधिक समय बाद भी जर्जर अवस्था में पहुंच चुका है। मरम्मत न होने से छतें टूटने की कगार पर हैं और सफाई कर्मचारी न होने से स्वच्छता की स्थिति खराब है। इससे मरीजों के स्वास्थ्य पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ रहा है,
प्रशासन से तत्काल कार्रवाई की मांग
नगरवासियों ने जिला प्रशासन से स्टाफ पूर्ति, भवन मरम्मत और सुविधाओं की तत्काल व्यवस्था करने की मांग की है। उनका कहना है कि स्वास्थ्य सेवाओं की उपेक्षा अब बर्दाश्त से बाहर हो चुकी है। स्थानीय लोगों ने शीघ्र ठोस कदम उठाने की अपील की ताकि आयुर्वेदिक उपचार सुगम हो सके।
